शेर और चालाक खरगोश – जानवरों की नैतिक कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक घने जंगल में एक शेर रहता था। वह बहुत ही ताकतवर और क्रूर था। जंगल के सभी जानवर उससे डरते थे क्योंकि वह हर दिन एक जानवर को मारकर खा जाता था। सभी जानवरों के मन में डर और चिंता घर कर गई थी।
एक दिन सभी जानवरों ने मिलकर एक बैठक बुलाई। उन्होंने निर्णय लिया कि रोज़ शेर को एक जानवर खुद जाकर भोजन के रूप में मिलेगा, ताकि बाकी जानवरों की जान बचाई जा सके। शेर को यह योजना पसंद आई क्योंकि अब उसे शिकार नहीं करना पड़ेगा।
यह योजना कुछ दिन तक सही चली। लेकिन एक दिन एक चालाक खरगोश की बारी आई। खरगोश जानता था कि अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो पूरा जंगल धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा। उसने एक योजना बनाई ताकि वह शेर से सभी को बचा सके।
वह जानबूझकर देर से शेर के पास पहुंचा। शेर गुस्से में दहाड़ा – “तू इतनी देर से क्यों आया?” खरगोश ने शांतिपूर्वक जवाब दिया – “महाराज! रास्ते में एक और शेर मिल गया, जिसने मुझे पकड़ लिया और कहा कि वही इस जंगल का असली राजा है।”
शेर को यह सुनते ही बहुत गुस्सा आया – “मुझसे बड़ा कोई नहीं! मुझे दिखाओ वो दूसरा शेर।” खरगोश ने उसे एक साफ पानी वाले कुएं के पास ले जाकर कहा – “महाराज, वह इसी कुएं में छुपा है।”
शेर ने कुएं में झाँका तो उसे अपनी परछाई दिखी। वह समझा कि यह दूसरा शेर है जो उसे घूर रहा है। गुस्से में आकर शेर ने कुएं में छलांग लगा दी और पानी में डूब गया।
इस तरह चालाक खरगोश ने न सिर्फ अपनी जान बचाई, बल्कि पूरे जंगल को शेर के आतंक से भी मुक्त कर दिया।
सभी जानवर बहुत खुश हुए और उन्होंने खरगोश को सम्मानित किया। अब जंगल में प्रेम, शांति और एकता का माहौल बन गया। सभी जानवर अब स्वतंत्र और सुरक्षित महसूस करने लगे।
🔸 कहानी से क्या सीख मिलती है?
- बुद्धिमानी और संयम से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।
- कर्म का फल जरूर मिलता है – अन्याय और घमंड का अंत होता है।
- सच्ची शक्ति हिंसा में नहीं, समझदारी में होती है।
- एक छोटा जानवर भी अपनी बुद्धि से बड़े से बड़े खतरे को हरा सकता है।
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