लालची कुत्ता - बच्चों के लिए नैतिक कहानी |

बच्चों के लिए नैतिक कहानी – लालची कुत्ता

एक शिक्षाप्रद हिंदी कहानी जो बच्चों को लालच से दूर रहने और संतोष की भावना सिखाती है।

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लालची कुत्ते की नैतिक कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक भूखा कुत्ता इधर-उधर भटक रहा था। उसे पूरे दिन कुछ भी खाने को नहीं मिला। उसके पेट में चूहे कूद रहे थे और आँखों में थकान साफ दिखाई दे रही थी।

अंत में उसे एक घर के बाहर रोटी का एक टुकड़ा पड़ा मिला। वह तुरंत उसे उठाकर मुँह में दबा लिया और सोचा कि इसे किसी शांत जगह पर जाकर आराम से खाएगा।

रास्ते में उसे एक नदी मिली जिसे पार करने के लिए एक लकड़ी का पुल था। जैसे ही वह उस पुल से गुज़र रहा था, उसने पानी में नीचे देखा और उसे अपनी परछाई नजर आई। लेकिन भूख और लालच के कारण उसने सोचा कि पानी में दूसरा कुत्ता है और उसके मुँह में भी एक रोटी है, जो उससे बड़ी दिख रही है।

उसने सोचा, "अगर मैं इस कुत्ते से उसकी रोटी छीन लूं, तो मेरे पास दो रोटियाँ हो जाएँगी।" ऐसा सोचते ही उसने जोर से भौंक दिया। लेकिन जैसे ही उसने मुँह खोला, उसकी अपनी रोटी नदी में गिर गई और बह गई।

लालच का अंजाम

अब उसके पास कुछ भी नहीं था। उसका पेट और भी ज्यादा भूखा रह गया। वह उदास होकर नदी किनारे बैठ गया और अपनी गलती पर पछताने लगा।

उसने सोचा, "काश मैंने अपनी रोटी से संतोष किया होता, तो आज भूखा न होता।" उसे जीवन की सबसे बड़ी सीख मिली — **लालच हमेशा हानि का कारण बनता है।**

उस दिन के बाद वह कुत्ता समझदार बन गया और जो भी मिलता, उसमें संतोष रखता। गाँव के अन्य जानवर भी उससे यह सीखने लगे कि संतोष ही सबसे बड़ा धन है।

सीख: लालच का परिणाम हमेशा बुरा होता है। जो हमारे पास है, उसमें संतुष्ट रहना ही बुद्धिमानी है।

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