प्रस्तावना
एक बार दो घनिष्ठ मित्र, आरव और विकास, जीवन की सच्चाई और कर्म का फल को पहचानने के लिए जंगल की यात्रा पर निकले। दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया था कि वे चाहे जैसी भी आपदा आई, साथ नहीं छोड़ेंगे।
घटना का आरंभ
जंगल के बीच एक संकरी राह में, अचानक एक भालू उनके सामने आ गया। दोनों भयभीत हो उठे।
आरव तुरंत पास के पेड़ पर चढ़कर खुद को बचा लिया, लेकिन विकास को चढ़ना नहीं आता था। वह डर के मारे जम गया।
दूसरी की चालाकी और साहस
विकास ने धरती पर लेटकर साँस रोकी और ऐसा दिखाया जैसे वह मरा हुआ है। भालू उसके पास आया, सूंघा और फिर शांत हो गया। भालू उसे न छेड़े क्योंकि वह मृतप्राय था।
सच्चे मित्र की परीक्षा
भालू के चले जाने पर आरव धीरे से पेड़ से उतरकर पूछा, “भाई, भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था?”
विकास ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “भालू ने कहा कि जो संकट में तुम्हें अकेला छोड़ दे, वह तुम्हारा सच्चा मित्र नहीं है।” यह सुनकर आरव को अपनी गलती का एहसास हुआ।
दोस्ती और माफी
आरव ने आँसू भरे रहस्य से कहा, “मुझे माफ कर दो, मैं डर गया था।” विकास ने ज़ोर से गले लगाकर कहा, “यही हमारा कर्म का फल है—माफी और दोस्ती!”
दोनों ने साथ भूखे-प्यासे जंगल से बाहर निकलने का निर्णय लिया। उन्होंने मिलकर रास्ता खोजा और एक नदी किनारे पहुँच कर पानी पिया।
सच्चा मित्र और उसका महत्व
वे जब गाँव लौटे तो सबने उनकी परीक्षा की कहानी सुनी और सीख पाई कि सच्चा मित्र संकट में साथ खड़ा रहता है।
सीख: सच्चा मित्र वही है जो मुश्किल वक्त में साथ खड़े। कर्म का फल हमेशा मीठा होता है।
क्या आपको भी कभी दोस्त ने संकट में साथ छोड़ा है? नीचे कमेंट करें और अपनी कहानी बताएं!
© 2025 Nanhe Munne Learn - बच्चों की नैतिक कहानियाँ
यह कहानी बच्चों को जीवन मूल्यों, सच्ची मित्रता और कर्म का फल सिखाने के उद्देश्य से बनाई गई है। कृपया शेयर करें।
0 टिप्पणियाँ