गर्मियों की छुट्टियों में अंश अपनी दादी माँ के साथ गाँव में रह रहा था। पिछली कहानी की सीख के बाद अंश और ज़्यादा जिम्मेदार बन गया था। अब वह रोज़ सुबह जल्दी उठता, अपने बिस्तर खुद लगाता और दादी माँ की मदद करता।
एक दिन गाँव में सफाई अभियान की घोषणा हुई। स्कूल के बच्चों को बुलाया गया, लेकिन कोई भी बच्चा आकर झाड़ू नहीं लगाना चाहता था। सबको यह काम छोटा और गंदा लग रहा था। लेकिन अंश ने कुछ अलग सोचा।
उसने दादी माँ से पूछा, “दादी, क्या हमें ये काम करना चाहिए?” दादी मुस्कुराईं और बोलीं, “बेटा, जो काम सभी से बचते हैं, वही करने वाला असली हीरो होता है।”
🌿 अंश की समझदारी
अंश ने अकेले ही झाड़ू उठाई और गाँव के मंदिर के पास की गली साफ करने लगा। पहले लोग उसे देख हँसने लगे, लेकिन फिर उसके दो दोस्त भी साथ आ गए। थोड़ी देर में पूरा मोहल्ला मिलकर सफाई करने लगा।
गाँव के प्रधान जी ने अंश की पीठ थपथपाई और कहा, “बेटा, तूने हमें सिखाया कि बदलाव की शुरुआत खुद से होती है।”
सीख: दूसरों को बदलने से पहले खुद को बदलो – और दुनिया बदलने लगेगी।
🥣 सेवा का असली अर्थ
एक और दिन, दादी माँ बीमार पड़ गईं। अंश ने बिना किसी से कहे रसोई संभाल ली। उसने दादी के लिए खिचड़ी बनाई, दवा दी और उनका हाथ पकड़कर कहा, “दादी, आप ही मेरी सबसे बड़ी टीचर हैं।”
दादी की आँखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा, “बेटा, सच्चा ज्ञान स्कूल की किताबों से नहीं, जीवन के अनुभवों से आता है।”
अंश ने सीखा कि पढ़ाई के साथ-साथ सेवा और भावना भी ज़रूरी है। अब वो अपने दोस्तों को भी यही बातें सिखाता था।
दूसरी सीख: सेवा भावना ही इंसान को बड़ा बनाती है।
© 2025 Nanhe Munne Learn | सभी अधिकार सुरक्षित
यह कहानी बच्चों, माता-पिता और शिक्षकों के लिए एक प्रेरणादायक प्रयास है।
0 टिप्पणियाँ